सुरेश प्रभु ने सर्ज प्राइसिंग की योजना के फीडबैक से जूझने के लिए नई तसस्ली दी है। उनके हिसाब से यह प्राइसिंग सिस्टम का आम आदमी के जीवन पर कोई भारी असर नहीं पड़ेगा।यही समझने के लिए उन्होंने ट्वीट किया है एक चार्ट जिसमें रेल यात्रा के खर्चे (नॉन-प्रीमियम ट्रेन्स) को सेब और झाड़ू के खर्चे से तुलना करके दर्शाया है।
इंडियन रेलवेज के अनुसार लखनऊ से कानपूर तक की यात्रा(जेनरल क्लास)में 45 रुपये लगते है,जो की 1 kg चीनी खरीदने के बराबर है। उसी प्रकार नई दिल्ली से आगरा तक के सफर की यात्रा लागत 85 रुपये है; और इन्ही रुपयों में आप एक किलो सेब खरीद सकते है। अब यह भला किसने सोचा था?
उससे भी रोमांचक है लखनऊ से झाँसी तक सफर, जिसकी तुलना की है झाड़ू के मूल्य से; मात्र 100 रुपये। आपको जानके हैरानी होगी की यह सबसे महँगी यात्रा है।
रेलवेज़ ने यह कंपॅरिज़न 300 km से कम की यात्रा के लिए किया है।इतना ही नहीं, जनरल क्लास ट्रेन्स, स्लीपर क्लास ट्रेन्स तथा बसेस के रिलेटिव किराये को भी कंपेयर किया है।
साथ ही साथ रेलवेज़ ने यह भी कहा है की सर्ज प्राइसिंग पॉलिसी एक्सपेरिमेंट के तौर पे इंट्रोड्यूस की गयी है है। यह सिस्टम वैसे इन्टरनॅशनली ज़्यादा चलता है।