अगर आपने अपना बचपन या गर्मी की छुट्टियाँ इंडिया में बिताई हैं, तो आपको ज़रूर पता होगा कि इंडिया में गुज़ारी गई छुट्टियाँ कितनी शानदार होती हैं। अपने भाई-बहनों के साथ UNO कार्ड खेलने से लेकर अपनी माँ के हाथों बने से लड्डू खाने तक, 90 के दशक का हर बच्चा इससे रिलेट कर सकता है।
पूरे परिवार के साथ यादगार ट्रेन के सफ़र की जगह अब सहकर्मियों के साथ फ़्लाइट यात्राओं ने ले ली है, इसलिए हम बचपन की सुनहरी यादों को लेकर आए हैं:
ट्रेन में घर का बना स्वादिष्ट खाना
इंडिया में छुट्टियाँ पूरी और सब्ज़ी के बिना अधूरे थे।
पूरे परिवार के साथ अंताक्षरी खेलना
उस वक़्त हर खेल की शुरुआत “बैठे-बैठे क्या करें, करना है कुछ काम” से होती थी, उस समय सफ़र के दौरान सब साथ मिलकर बातें किया करते थे और मज़े भी किया करते थे।
ट्रेन बुक करेंPic Courtesy: Trip Savvy
टिकट बुक करने के लिए कतार में खड़े होना
अब हम सिर्फ़ एक क्लिक करके टिकट बुक कर सकते हैं, जबकि पहले, लंबी कतार में खड़े होकर अपनी बारी का इंतज़ार करना पड़ता था।
वॉकमैन
अकेले रहना पसंद करने वाले लोगों के लिए सबसे अच्छा साथी, वॉकमैन ही था। पैकिंग करते समय सबसे पहला ध्यान उसी का आता था।
फोटोग्राफी काफी महंगी हुआ करती थी
एक फ़िल्म कैमरे में केवल 36 क्लिक किए जा सकते थे, फ़ोटोग्राफ़ी उस वक़्त एक लक्जरी थी। तस्वीरों से खचाखच भरे फोन उपलब्ध हो जाने के कारण, इन दिनों बच्चे फ़ोटो खिंचवाने के उत्साह को नहीं समझ सकते हैं।
फ़ोन बूथ
घंटों चलने के बाद, कतारों में खड़े रहना और अंत में बूथ से कॉल करने का मौका पाना, इसका अनुभव अलग ही होता था।
पुराने ज़माने का सूटकेस
सामानों से भरे हुए और भारी भरकम VIP सूटकेस भला कौन भूल सकता है?
विंडो स्पेस के लिए लड़ाई
एक खिड़की और उस खिड़की वाली सीट पर बैठने के लिए कई लोगों की लड़ाई, कितने मज़ेदार दिन थे न वो!
अगर ट्रेन आपको अपने सुनहरे बचपन के दिनों की याद दिलाती है, तो यह बेहतरीन वीडियो देखें और उन यादों को ताज़ा करें —
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