हाथियों की जान बचाने के लिए नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर रेलवे ने मधुमक्खियों का सहारा लिया है। नॉर्थ ईस्ट के असम में कई सारे हाथी रेलवे ट्रैक क्रॉस करते समय ट्रेन से टकराकर मर जाते हैं। इन्हीं हाथियों की जान बचाने के लिए नॉर्थईस्ट फ्रंटियर रेलवे ने प्लान बी की शुरुआत कर दी है। हाथी, मोटी त्वचा और एक विशाल आकार होने के बावजूद, मधुमक्खियों से डरते हैं। हाथियों की इसी कमजोरी का फायदा उठाते हुए, भारतीय रेलवे ने उन्हें सुरक्षित रखने के लिए एक चतुर तरीका अपनाया है। ये योजना है कि रेलवे ट्रैक्स के पास मधुमक्खियों की आवाज निकालने वाली डिवाइस लगाई जाएंगी। ये आवाज़ सुनकर हाथी रास्ता बदल देंगे और ट्रेन से टकराने से बच जाएंगे।
NFR के मुताबिक साल 2016 में ट्रेन से टकराने की वजह से 16 हाथी मारे जा चुके हैं और इस साल भी अब तक आधा दर्जन हाथी जान गंवा चुके हैं।
इससे पहले भी हाथियों के विशेषज्ञ मिर्च जलाने और बिजली वाले तार लगाने जैसे उपाय करके देख चुके हैं, जिनका कोई खास फायदा नहीं हुआ।
केन्या में अब भी रेलवे ट्रैक्स के पास लगे तारों पर मधुमक्खियों के छत्ते लटका दिए जाते हैं, ताकि हाथी दूर रहें। गुवाहाटी से 65 किमी दूर NFR का रांगिया डिविज़न इलेक्ट्रॉनिक बज़र इस्तेमाल करने जा रहा है, जिससे मधुमक्खियों की आवाज़ निकलेगी।
रांगिया डिविज़न के रेलवे मैनेजर रविलेश कुमार का कहना है कि दो हज़ार रुपए की लागत वाली इस डिवाइस की आवाज़ को हाथी 600 मीटर की दूरी से सुन सकेंगे। वैसे भी, हाथियों को उनके खाने की तलाश में ट्रैक पार करने से नहीं रोका जा सकता।