हरियाली तीज, भारत के प्रमुख त्यौहारों में से एक है। देश के सभी राज्यों में यह पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। सुहागन महिलाएँ, इस पर्व की तैयारी कई दिन पहले से शुरू कर देती हैं। यह व्रत अच्छी संतान एवं सौभाग्य के लिए रखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को भगवान शिव और देवी पार्वती का मिलन हुआ था, इसलिए इस दिन तीज मनाया जाता है।
शुभ मुहूर्त:
इस साल, हरियाली तीज 3 अगस्त को मनाई जा रही है। हरियाली तीज के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त, दोपहर 3 बजकर 31 मिनट से रात 10 बजकर 21 मिनट तक रहेगा। इस दौरान भगवान शिव एवं माँ पार्वती की पूजा करनी चाहिए। इस दिन क्रोध का त्याग करके व्रत रखना अत्यंत फलदायी माना जाता है।
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हरियाली तीज के प्रमुख रीति रिवाज:
हरियाली तीज के अवसर पर शादीशुदा महिलाओं के लिए उनके मायके से श्रृंगार की वस्तुएँ आती हैं। इन वस्तुओं में मेहंदी, आल्ता, चूड़ियाँ, बिंदी आदि शामिल हैं। इसके साथ ही ससुराल में सास अपनी बहुओं को नई साड़ियाँ, कपड़े व श्रृंगार का सामान भेंट करती हैं।
इस दिन महिलाएँ लोकगीत गाकर व शिव-पार्वती की स्तुति-वंदना करके समय व्यतीत करती हैं। इस दौरान, वर्षा ऋतु अपने चरम पर होती है इसलिए प्रकृति की सुंदरता का भरपूर आनंद उठाने के लिए महिलाएँ इस दिन झूला भी झूलती हैं।
यहाँ की तीज है मशहूर:
यूँ तो पूरे भारत वर्ष में तीज पर्व का बड़ा महत्व है परंतु राजस्थान में इसकी धूम देखते ही बनती है। राजस्थान के भिन्न-भिन्न इलाकों में अलग-अलग तरीके से यह पर्व मनाया जाता है। उन्हीं में से सबसे मशहूर जयपुर में होने वाला तीज उत्सव है।
इस दौरान पूरे जयपुर में एक अलग ही माहौल रहता है। इस दिन खूबसूरत पालकी में तीज माता की शाही सवारी निकलती है। यह सवारी पूरे शहर की गलियों से होकर गुज़ारी जाती है। स्वादिष्ट व्यंजनों और मिठाइयों की खुशबू से पूरा शहर महक उठता है। यह पर्व, राजस्थान की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का एक अद्भुत उदाहरण है।
जयपुर के अलावा बूँदी, बनारस और बिहार के कई जगहों पर भी सावन का यह पर्व श्रद्धापूर्वक मनाया जाता है।