ट्रेनों के पटरी से उतरने की घटनाएं बढ़ने के बाद दक्षिण-पूर्वी रेलवे (SER) ट्रेनों की सुरक्षा को लेकर बड़ा कदम उठाने जा रहा है।SER ने खड़गपुर में रूट रिले इंटरलॉकिंग (RRI) सिस्टम को एशिया के सबसे बड़े सॉलिड स्टेट इंटरलॉकिंग (SSI) में बदल दिया है।
इस तकनीक को रविवार से अमल में लाया जाएगा। इस तकनीक से खड़गपुर में स्टेशन मास्टर कुछ क्लिक्स में ट्रेनों के 800 अलग अलग रूट सेट करने में सक्षम होगा। यह विंटेज RRI सिस्टम के विपरीत है जिसमें ऑपरेटर सिर्फ 423 रूट ही सेट कर सकता था।
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए SER के प्रिंसिपल चीफ ऑपरेशन मैनेजर, सुचितो कुमार दास ने कहा कि यह एशिया का सबसे बड़ा SSI सिस्टम होगा। RRI सिस्टम 1980 से पहले का है और यह अपने जीवनकाल को लांघ चुका है।
नए सिस्टम को इन्स्टॉल करने का खर्च 39 करोड़ रुपये आया है। यह नई तकनीक एक ट्रेन के रास्ते को ऐसे तरीके से स्थापित करने की अनुमति देगी, जिसमें उसे कई पटरियों को पार करना होगा। इस सिस्टम का प्रमुख फायदा ये है कि इसमें सुनिश्चित होता है कि क्रॉसिंग के वक्त कोई भी क्रॉस मूवमेंट नहीं होगी। इससे हादसों से बचा जा सकेगा।
दास ने बताया कि SSI सिस्टम पुराने सिस्टम से अधिक भरोसे लायक है।हम इसपर पिछले 7-8 महीने से परीक्षण भी कर रहे हैं।4 नवंबर को खड़गपुर यार्ड में इस प्रोजेक्ट को चलाने की शुरुआत की गई और रविवार तक यह चलेगा। पुराने RRI सिस्टम से नए SSI सिस्टम में आने के बीच पैसेंजर्स को थोड़ी दिक्कत हो सकती है।
SER के चीफ पैसेंजर ट्रांसपोर्टेशन मैनेजर सौमित्र मजूमदार के मुताबिक हर दिन 116 ट्रेनें खड़गपुर से चलती और यहां से पास होती हैं। नई तकनीक शुरू होने से 3 सिग्नल केबिन अनावश्यक हो जाएंगे और केबिन मास्टर्स भी कम हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि हमें और अधिक स्टेशन मास्टर्स की जरूरत होगी। कुछ ट्रेनें लेट हो सकती हैं लेकिन रविवार के बाद हमें ज्यादा दिक्कत नहीं होगी।