इंडिया के केंद्रीय बजट 2021 की घोषणा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा नयी दिल्ली में की गयी।
इस आम बजट के अंतर्गत, भारतीय रेलवे को बुनियादी ढाँचे और वित्तीय सहायता में बढ़ावा मिला है। सीतारमण ने कहा कि रेलवे को 1,10,055 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, और “लॉजिस्टिक्स कॉस्ट को कम करना” महत्वपूर्ण है।
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बजट का उद्देश्य प्रगति पर ध्यान देना है लेकिन कोरोना वायरस लॉकडाउन, यात्रियों की कम भीड़, और रद्द हुई ट्रेनों के चलते रेलवे को होने वाले नुकसान की वसूली पर भी ध्यान दिया जाएगा। इसके अलावा, इसका उद्देश्य भारत के मौजूदा परिवहन सेटअप में सुधार करना है।
इस वर्ष के हाइलाइट्स निम्लिखित हैं:
> सार्वजनिक परिवहन में सुधार के लिए मेट्रो रेल नेटवर्क का विस्तार किया जायेगा। विशेष रूप से, चेन्नई मेट्रो के लिए 63,000 करोड़ रुपये आवंटित किये गये हैं।
> विस्टाडोम एलएचबी कोचों को और अधिक पर्यटन मार्गों से जोड़ा जायेगा। ये कोच, ट्रेन यात्रा के अनुभव को के लिए उपयुक्त हैं, क्योंकि इनमें छत, दृश्य देखने के लिए स्पेस, वाई-फ़ाई तथा 180-डिग्री घूम सकने वाली सीटें हैं।
> व्यस्त मार्गों में एंटी- कॉलिज़न सिस्टम लगाए जायेंगे। ये सिस्टम भारत में बनाये जायेंगे और इस से यात्री सुरक्षा में सुधार होगा।
> रेलवे के बुनियादी ढाँचे (स्टेशनों, प्लेटफॉर्मों, पटरियों आदि के निर्माण और रखरखाव ) के लिए 20,000 करोड़ रुपये आवंटित किये गये हैं।
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> जून 2022 तक समर्पित पूर्वी एवं पश्चिमी मालगाड़ियाँ शुरू हो जायेंगी। मालगाड़ियों द्वारा मशीनरी, ताजा उत्पादन, अनाज आदि का वितरण किया जायेगा, इससे पहले COVID-19 टीकों के देशव्यापी वितरण के लिए इनका उपयोग किया गया था।
> 2023 तक ब्रॉड गेज नेटवर्क 100% विद्युतीकृत हो जायेगा एवं यह रेलवे पटरियों के 120,000 किलोमीटर से अधिक तक का क्षेत्र कवर करता है।
> और अंत में, भारत के पास एक राष्ट्रीय रेल योजना होगी जो 2030 तक लागू होगी।
बजट की पृष्ठभूमि
इस वर्ष, सीतारमण के प्रस्ताव छह स्तंभों पर आधारित हैं: स्वास्थ्य और भलाई; भौतिक और वित्तीय पूंजी और बुनियादी ढाँचा; नवाचार और आर एंड डी; समावेशी विकास; मानव पूंजी को मजबूत करना; और न्यूनतम सरकार और अधिकतम शासन।
1924 में शुरू हुआ रेल बजट मूल रूप से केंद्रीय बजट से अलग पेश किया जाता था। यह प्रथा अंग्रेजों के अधीन शुरू हुई, और 2016 में समाप्त कर दी गयी।
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