विश्व के सबसे बड़े धार्मिक सम्मलेन ‘कुम्भ’ में देश विदेश से केवल श्रद्धालु ही नहीं बल्कि विभिन्न सम्प्रदायों के साधु और संत भी शामिल होते हैं। इस पर्व में अखाड़ों का विशेष महत्व है।अखाड़ा, साधुओं का वह दल होता है, जो शस्त्र विद्या में भी पारंगत रहता है। वैसे तो भारत में साधुओं के कई अखाड़े हैं परंतु इस बार अर्ध कुम्भ में भाग लेने वाले मुख्य अखाड़े निम्नलिखित हैं:
1. महानिर्वाण अखाड़ा – महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा का जिम्मा इसी अखाड़े के पास है। इनके ईष्ट देव कपिल महामुनि हैं। इनकी स्थापना 671 ईसवी में हुई थी।
2. आनंद अखाड़ा – इस अखाड़े की स्थापना 855 ईसवी में हुई थी। इस अखाड़े में आचार्य का पद ही प्रमुख होता है। इसका केंद्र वाराणसी है।
3. अवाहन अखाड़ा – इनके ईष्ट देव श्री दत्तात्रेय और श्री गजानन दोनो हैं। इस अखाड़े का केंद्र स्थान भी बनारस है।
4. अटल अखाड़ा – इस अखाड़े के साधुगण भगवान गणेश की आराधना करते हैं। इस अखाड़े में केवल ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य दीक्षा ले सकते हैं और कोई अन्य इस अखाड़े में नहीं आ सकता। यह सबसे प्राचीन अखाड़ों में से एक है।
5. निरंजनी अखाड़ा – यह अखाड़ा सबसे ज्यादा शिक्षित अखाड़ा है। इस अखाड़े में करीब 50 महामंडलेश्वर हैं। यह भगवान शंकर के पुत्र कार्तिक को पूजते हैं।
6. निर्मल अखाड़ा – इस अखाड़े की स्थापना श्रीदुर्गासिंह महाराज ने की थी। यह श्री गुरुग्रंथ साहिब को मानते हैं। इस अखाड़े के साधुगणों को धूम्रपान की इजाजत नहीं है।
7. किन्नर अखाड़ा – अर्ध कुम्भ 2019 में एक महत्वपूर्ण बदलाव आएगा। इस बार कुंभ में किन्नर अखाड़ा भी शामिल हो चुका है। इस अखाड़े की महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी हैं।
इसके अलावा जूना अखाड़ा, नागपंथी गोरखनाथ अखाड़ा, वैष्णव अखाड़ा, बड़ा उदासीन पंचायती अखाड़ा, नया उदासीन अखाड़ा आदि भी कुम्भ के इस आयोजन का अहम हिस्सा होंगे।