भारतीय रेलवे की पूरी सिग्नल प्रणाली के पूर्ण आधुनिकीकरण के लिए 78,000 करोड़ रुपये की लागत को आगामी बजट में अन्य सुरक्षा उपायों के बीच मंजूरी मिल सकती है।
रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “भीड़ वाले नेटवर्क में स्वचालित सिग्नल प्रणाली को आधुनिक करने का मकसद सुरक्षा को बढ़ाना व रेल की रफ्तार को तेज करना है।“
रेलवे को इस बार सकल बजट सहयोग (जीबीएस) का 65,000 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है। इसमें बीते साल के मुकाबले 10,000 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है। रेलवे अपने अवसंरचना विकास व सुरक्षा उपायों को बढ़ाने के लिए अपने आंतरिक संसाधनों व बाजार से धन जुटाने के लिए आगे बढ़ रहा है।
मौजूदा सिग्नल नेटवर्क को नई अत्याधुनिक प्रणाली से बदलने के साथ, इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग प्रणाली का प्रसार, यूरोपीय रेल नियंत्रण प्रणाली लेवल-2 को शामिल करना और मोबाइट ट्रेन रेडियो संचार प्रणाली रेलवे के उन्नतीकरण कार्यसूची का हिस्सा है।इस प्रणाली को अगले पांच सालों में बदलने की विस्तृत योजना तैयार की गई है।
देश के विकास को बढ़ाने के लिए रेल क्षेत्र में निवेश महत्वपूर्ण है। बीते बजट में एक लाख करोड़ रुपये का राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोष बनाया गया था। इसके साथ ही बजट में सिग्नलों को स्वचालित बनाने के कदम से सुरक्षा के उपायों को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।