रेलवे मंत्री पीयूष गोयल ने रेल मार्गों के विद्युतीकरण की प्रक्रिया में तेजी लाने के निर्देश जारी किए हैं।
एक वरिष्ठ रेलवे अधिकारी ने कहा, “यदि रेलवे मंत्रालय की योजना के मुताबिक सब चले, तो देश में हजारों लीटर डीजल की खपत वाले लोकोमोटिव अतीत की बात हो सकते हैं। रेल नेटवर्क के पूर्ण विद्युतीकरण में तेजी लाने के लिए, भारतीय रेलवे ने 2020 तक की समय सीमा तय की है। इसका मतलब है कि अगले तीन वर्षों में रेलवे डीजल इंजन को हटा देगा और सभी 19,000 रेलगाड़ियां सिर्फ बिजली के इंजनों पर ही चलेगी।”
यह कदम न केवल ग्रीनहाउस उत्सर्जन को नियंत्रित करेगा, बल्कि ईंधन पर सालाना खर्च किए 11,000 करोड़ रुपये से रेलवे को भी बचाएगा। वर्तमान में, डीजल खरीदने के लिए रेलवे सालाना करीब 18,000 करोड़ रुपये खर्च करता है। दूसरी ओर, इसके बिजली खरीद बिल को 9,000 करोड़ रुपये पर तय किया गया है।
गोयल ने हाल ही में कहा था, “हम देश भर में रेल लाइनों के विद्युतीकरण की प्रक्रिया को तेज करने के तरीकों पर पुनर्विचार कर रहे हैं। बिजली की कीमत कम है और इसलिए हम बहुत बचत कर सकते हैं।”
वरिष्ठ अधिकारियों ने यह भी कहा कि रेलवे के संचालन को इलेक्ट्रिक मोड में बदलने से विदेशी देशों से डीजल के आयात में काफी कमी आएगी जो देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी फ़ायदेमंद होगा।