यूरोप और जापान में चलने वाली आधुनिक ट्रेनों से मेल खाती हुई भारतीय रेलवे की नई ट्रेन 18, भारत के लिए “प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक बहुत बड़ी उपलब्धि” है।
‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) द्वारा तैयार की गई यह ट्रेनें, इंटर सिटी एक्सप्रेस ट्रेनों की जगह लेने के उद्देश्य से निर्मित की गई हैं।
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यह ट्रेन स्लाइडिंग दरवाज़ों, आपातकालीन टॉक-बैक यूनिट, सीसीटीवी, वाई-फ़ाई, जीपीएस आधारित सूचना स्क्रीन, एग्जीक्यूटिव श्रेणी में एलसीडी टीवी युक्त घूम सकने वाली सीटों, ज़ीरो डिस्चार्ज वैक्यूम आधारित शौचालय और इंटेलिजेंट एयर कंडीशनिंग प्रणाली से युक्त है।
ट्रेन 18 परियोजना की सफलता के साथ ही, भारतीय रेलवे ने अपना लक्ष्य और ऊँचा कर दिया है। इन सेमी-हाई स्पीड (150-200 किमी/घंटा) ट्रेनों को बहुत अधिक लागत वाली एचएसआर प्रणाली (250-350 किमी/घंटा) की जगह पर एक बेहतर विकल्प माना जा रहा है
शताब्दी ट्रेनों की जगह लेने के बाद, सभी मौजूदा राजधानी ट्रेनों को इन सक्षम, एल्यूमीनियम बॉडी वाली ट्रेनों से बदलने के लिए एक परियोजना पर काम चल रहा है, जिसमें कुछ स्लीपर कोच भी शामिल किए जाएँगे।