40 लाख से अधिक महिलाएँ प्रतिदिन भारतीय रेलवे सेवा का उपयोग करती हैं। चाहे वे काम के लिए यात्रा कर रहीं हों या कहीं घूमने के उद्देश्य से, सुरक्षा हमेशा से उनके लिए चिंता का विषय रहा है।
रेल मंत्रालय ने हाल ही में कोचों एवं प्लेटफार्मों दोनों पर सुरक्षा की इस कमी को स्वीकार किया है और एक कार्य योजना के तहत यात्रा को सुरक्षित बनाने की कोशिश कर रहा है। इससे पहले फरवरी में मेरी सहेली परियोजना शुरू की गयी थी, जिसका उद्देश्य भारतीय ट्रेनों में यात्रा करने वाली एकल महिला यात्रियों एवं छोटे बच्चों के साथ यात्रा करने वाली महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करना था।
नई कार्य योजना, अल्पकालिक एवं दीर्घकालिक दिशानिर्देशों के एक सेट के रूप में प्रकाशित की गयी है जिसका पालन अधिकारियों एवं कर्मचारियों को करना अनिवार्य है।
मंत्रालय ने इस संबंध में भी सुझाव प्रकाशित किये हैं कि यात्री अपनी मदद के लिए क्या कर सकते हैं।
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वर्तमान में उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करते हुए, अल्पकालिक दिशानिर्देशों को तुरंत निष्पादित किया जायेगा। दीर्घकालिक योजनाओं में सीसीटीवी एवं लाइट मास्ट जैसी सुविधाएँ शामिल हैं, जिससे बुनियादी ढाँचे में सुधार होगा एवं निगरानी में मदद मिलेगी।
हाइलाइट्स निम्नलिखित हैं:
> रेलवे परिसर के सभी स्थानों पर उचित प्रकाश व्यवस्था उपलब्ध करवायी जानी चाहिए।
> कोई भी छोड़ी गई बिल्डिंग या अलग-थलग पड़े भवनों की नियमित रूप से जाँच तब तक होनी चाहिए जब तक कि उन्हें ध्वस्त नहीं किया जा सकता।
> अनधिकृत प्रवेश और निकास बंद कर दिए जायेंगे। प्रतीक्षालय की निगरानी ड्यूटी अधिकारियों द्वारा हर समय की जायेगी। ऐसे अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों की भी जाँच होगी और उन्हें पुलिस सत्यापन से गुज़रना होगा। बिना आईडी कार्ड के उन्हें किसी भी रेलवे परिसर में अनुमति नहीं दी जायेगी।
> स्टेशनों और ट्रेनों में शराब का सेवन करने वाले लोगों को पकड़ने और उन पर मुकदमा चलाने के लिए विशेष अभियान चलाये जायेंगे। रेलवे कर्मचारियों को ऐसे मामलों के खिलाफ़ ‘कड़ी कार्यवाही’ करनी होगी।
रेल मंत्रालय ईव टीजिंग, छेड़छाड़ और मारपीट की घटनाओं के प्रति कर्मचारियों को और अधिक संवेदनशील बनाने के लिए आवश्यक सॉफ़्ट स्किल पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है। सभी कर्मचारियों को अतिशीघ्र शिकायतें दर्ज़ करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा और GRP/RPF अधिकारियों को तुरंत कार्यवाही करने के लिए कहा जायेगा।
उन्हें परेशानी से जूझते महिलाओं और बच्चों को पहचानने एवं उनकी आवश्यक मदद करने हेतु प्रशिक्षित किया जायेगा।
इसके अलावा, सीसीटीवी सुरक्षा बढ़ायी जायेगी और अधिकारीगण, स्टेशन विशेष के आसपास रहने वाले अपराधियों की निगरानी के लिए यौन डेटाबेस (एनडीएसओ) का उपयोग करेंगे।
निम्नलिखित अन्य पहलुओं पर भी ध्यान दिया जायेगा:
> वे प्लेटफ़ॉर्म जहाँ लोग महिला कोचों में सवार होते हैं, विशेषकर हॉल्ट स्टेशनों के पास
> शौचालय, चूँकि सबसे अधिक अपराध यहीं घटित हुए हैं
> कोचों के प्रवेश / निकास द्वार। पैंट्री कार के कर्मचारियों सहित सभी कर्मचारियों को किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना देने के लिए सूचित किया जायेगा
एक यात्री के तौर पर आप क्या कर सकते हैं?
रेलवे के अनुसार, आप निम्नलिखित चीज़ें कर सकते हैं:
> हेल्पलाइन नंबरों की जाँच करें (ट्रेन टिकटों के पीछे प्रिंटेड)
> पैन इंडिया इमरजेंसी रिस्पांस सिस्टम से अवगत रहें जो अपराधों की रिपोर्ट करने में आपकी मदद करेगा
> वन स्टॉप सेंटर्स (OSC) के बारे में जानकारी रखें – ये यात्रियों को चिकित्सा सहायता, पुलिस सहायता, कानूनी परामर्श / अदालत के मामलों में प्रबंधन और महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा जैसी घटनाओं पर एकीकृत सेवाएँ प्रदान करने के लिए बनाये गये हैं।
हम उम्मीद करते हैं कि इस ख़बर के बाद महिला यात्री अपनी अगली यात्रा के दौरान सुरक्षित महसूस करेंगी। भारतीय रेलवे संबंधी और अधिक अपडेट्स के लिए ixigo trains ऐप देखते रहें।