कृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार बड़े ही जोश और उत्साह के साथ पूरे भारत वर्ष में प्रतिवर्ष मनाया जाता है। श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के तौर पर मनाए जाने वाले इस पर्व में श्रद्धालुगण भक्ति में झूमते हुए अपने आराध्य की स्तुति करते हैं। कोई नृत्य करता है, तो कोई आराधना करता है। कृष्ण का रंग इस दौरान सब पर अलग-अलग तरह से चढ़ा हुआ रहता है। अगर आप इस पर्व की भव्यता में पूरी तरह से मग्न होना चाहते हैं, तो कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर निम्नलिखित 5 स्थानों पर अवश्य घूमने जाएँ:
1. मथुरा, उत्तर प्रदेश
यमुना नदी के तट पर बसा मथुरा शहर, हिन्दू धर्म में उल्लेखित सप्त पावन पुरियों में से एक है। ब्रजभूमि के नाम से प्रसिद्ध इस शहर में वह कारागार स्थित है, जहाँ श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। जन्माष्टमी के अवसर पर मथुरा के सभी मंदिर फूलों एवं दीपों से सुसज्जित किए जाते हैं। जन्माष्टमी का सबसे प्रमुख आयोजन श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर में होता है, जो कि 2 दिनों तक लगातार चलता है। इस मंदिर में होने वाले जन्माष्टमी के दर्शन हेतु प्रति वर्ष 8 लाख से भी अधिक श्रद्धालु एकत्रित होते हैं।
2. वृन्दावन, उत्तर प्रदेश
ऐसा माना जाता है कि मथुरा जिले में स्थित इस कस्बे में श्री कृष्ण ने बाल्यकाल में कई क्रीड़ाएँ की थी। गोपियों के संग रास लीला भी उन्होनें इसी पवित्र धरा पर संपन्न किया था। 4000 से भी अधिक मंदिरों से सजे हुए इस छोटे से शहर की रौनक देखते ही बनती है। श्री रंगनाथ मंदिर, इस्कॉन मंदिर, राधारमण मंदिर, बाँके बिहारी मंदिर, आदि स्थानों पर लाखों की संख्या में भक्तगण दर्शन हेतु आते हैं।
ट्रेन बुक करें3. द्वारका, गुजरात
कच्छ के समुद्री तट पर स्थित द्वारका, हिंदुओं के चार प्रमुख धामों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि इसकी स्थापना श्री कृष्ण ने अपने बड़े भाई बलराम के साथ मिलकर करवाई थी। जन्माष्टमी के दौरान यहाँ द्वारकाधीश मंदिर में भगवान का श्रृंगार सोने, हीरों और पुखराज जैसे बहुमूल्य रत्नों से किया जाता है। इस पावन अवसर पर प्रभु का आशीर्वाद पाने के लिए बहुत अधिक संख्या में श्रद्धालुगण यहाँ आते हैं।
4. उडुपी, कर्नाटक
श्री कृष्ण मंदिर के लिए मशहूर कर्नाटक का ‘उडुपी’ शहर, 13 वीं सदी में बसाया गया था। उडुपी कृष्ण मठ में देश भर से तीर्थयात्री दर्शन करने के लिए आते हैं। यहाँ स्थित कृष्ण मंदिर में बहुत ही ख़ास तरह से कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाता है। जन्माष्टमी के पर्व पर अर्धरात्रि में भगवान की प्रतिमा को दूध से स्नान करवाया जाता है और उसके बाद उन्हें मिठाइयों का भोग चढ़ाया जाता है।
5. इम्फाल, मणिपुर
मणिपुर में ‘कृष्ण जन्म’ के नाम से मनाया जाने वाला यह पर्व, भव्यता और भक्ति का प्रतीक है। यहाँ स्थित श्री श्री गोविंदराज जी मंदिर में प्रभु का संपूर्ण श्रृंगार किया जाता है और भक्तिपूर्ण तरीके से यह त्यौहार मनाया जाता है। इस अवसर पर श्री कृष्ण की जीवन गाथा भी मणिपुरी नृत्य द्वारा प्रस्तुत की जाती है।