सनातन धर्म की सेना अखाड़ों के सैनिक कहे जाने वाले नागा साधुओं की दुनिया, आम लोगों को काफ़ी रहस्यपूर्ण जान पड़ती है। यह नागा साधु, सिद्धियों की प्राप्ति हेतु किसी भी सीमा को पार कर सकते हैं।
कई साधु मौन व्रत रखकर अपने ईष्ट की आराधना करते हैं, तो कई साधु एक पैर पर खड़े रहकर हठयोग में रमे रहते हैं। कुछ नागा साधुओं ने कई वर्षों से अपने हाथ ऊपर कर रखे हैं, तो कई साधुओं ने अपनी जटाएँ काफ़ी लम्बी कर रखी हैं। कई साधु तो कीलों पर बैठकर तप कर रहे हैं।
1. 12 सालों से कर रहे हैं अग्निकंटक हठयोग –
जूना अखाड़े से आने वाले स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरि ने 12 सालों से अग्निकंटक आसान लगा रखा है। इस हठयोग के लिए उन्होनें अपने झूले के आसपास ही आग जलवा रखी है।
2. 70 किलो का रूद्राक्ष किया है धारण –
बहल भिवानी के श्री रति गिरि महराज डेरा के शक्ति गिरि स्वामी ने 70 किलो रूद्राक्ष की माला धारण की हुई है।
3. पाँच स्वान (कुत्ते) वाले बाबा –
जूना अखाड़े के भीमगिरि बाबा ने पाँच कुत्ते पाल रखे हैं। सभी कुत्ते विदेशी नस्ल के हैं और उन्हें भी स्नान में शामिल किया गया था। वह स्वान को भैरव का रूप बताते हैं और उन्हें सभी पूजा-पाठ में सम्मिलित करते है।
तस्वीर साभार:
संजय पांडे
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