अगर कोई आपसे, आपके परदादा और उनके पहले के पूर्वजों का नाम पूछे, तो शायद आप निरूत्तर हो जाएँगे। पर अब चिंता की ज़रुरत नहीं, अर्ध कुम्भ में नदी किनारे बैठे पंडो की मदद से आप अपने कुल की पूरी जानकारी मिनटों में पा सकते हैं।
Search Trainsसदियों से चली आ रही ‘बहीखातों’ की यह परंपरा, कुम्भ में आने वाले प्रत्येक श्रद्धालु को उनके वंशवेल से अवगत करा सकती है। इन बहीखातों को बड़े से बॉक्स में रखा जाता है और संगम के तट पर दारा गंज के ये पंडे हर जिले के बहीखातों के साथ बैठे रहते हैं।
यह पंडे न केवल अपने जजमानों के खानदान का ब्यौरा रखते हैं, बल्कि कुम्भ मेले में रुकने का प्रबंध भी करते हैं। इसी के चलते झंडों पर हर पंडे का एक खास निशान होता है, जिससे उनके जजमान कुम्भ में लाखों की भीड़ के बावजूद उन्हें खोज लेते हैं।
हर पंडे का अलग निशान होता है। किसी का तीन तुमड़ी, किसी का तिरंगा झंडा है, तो किसी का एक तुमड़ी है। यह एक प्रतीक है और इसी की मदद से आज डिजिटल युग में भी जजमान, अपने पंडो को खोज लेते हैं।