अक्षय तृतीया देश भर में हिंदुओं द्वारा मनाए जाने वाले सबसे पवित्र और शुभ त्यौहारों में से एक है। यह कोई भी नया काम शुरू करने के लिए सबसे शुभ दिन माना जाता है। इसके अलावा, यह दिन सौभाग्य, सफलता और भाग्य का प्रतीक है।
धार्मिक महत्व:
- इसे त्रेता युग के आरंभिक दिवस रूप में मनाया जाता है।
- इस दिन, वेद व्यास ने महाकाव्य महाभारत लिखना शुरू किया था।
- अक्षय तृतीया पर, भगवान कृष्ण ने द्रौपदी को अक्षय पात्र दिया था।
महत्वपूर्ण परम्पराएँ:
- भगवान विष्णु के भक्त इस दिन व्रत रखकर उनकी पूजा करते हैं। बाद में गरीबों को चावल, नमक, घी, सब्ज़ियाँ, फल और कपड़े बांटकर दान किया जाता है। भगवान विष्णु के प्रतीक के रूप में तुलसी का जल चारों ओर छिड़का जाता है।
- पूर्वी भारत में, इस दिन आगामी मौसम के फसल के लिए पहली जुताई की जाती है।
- इस दिन, कई लोग सोने और सोने के आभूषण खरीदते हैं। सोने की ख़रीददारी सौभाग्य और धन का प्रतीक है।
आध्यात्मिक महत्व:
- अक्षय का अर्थ है ‘कभी न मिटने वाला’। यह महोत्सव हमें आत्मा के शाश्वत स्वरूप की याद दिलाता है। इसलिए इस दिन ध्यान करने का अलग महत्व है।
- यह माना जाता है कि इस दिन, गंगा नदी पृथ्वी पर अवतरित हुई थी। इसलिए, भक्तगण मन, वाणी और कर्म की शुद्धता का अभ्यास करते हैं।
- परोपकार हमें आंतरिक रूप से स्वयं को शुद्ध करने में मदद करता है और हमें देने का गुण सिखाता है।
इस वर्ष, घर पर रहें और सामाजिक दूरी बनाए रखते हुए इस शुभ त्यौहार को मनाएँ। संपूर्ण सृष्टि की भलाई के लिए प्रार्थना करें!
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